प्रयागराज में महाकुंभ में अब तक लगभग 37 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई है। तीन अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं। अब साधु-संत वाराणसी जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे वहां अनुष्ठान करेंगे और उसके बाद हरिद्वार जाएंगे। संगम में आए श्रद्धालुओं ने व्यवस्थाओं की सराहना की है।

प्रयागराजः 13 जनवरी से उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में आयोजित भव्य महाकुंभ में अब तक लगभग 37 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। तीन अमृत स्नान संपन्न हो चुके हैं। लेकिन, श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। हालांकि, अब साधु-संत लौटने की तैयारी करने लगे हैं। दरअसल, महाकुंभ में वसंत पंचमी का अमृत स्नान 3 फरवरी को संपन्न हो हुआ। साधु-संतों और नागा संन्यासियों ने स्नान किया और अब वे वाराणसी के लिए प्रस्थान की तैयारी कर रहे हैं। वे वहां अनुष्ठान करेंगे, शिवरात्रि और होली मनाएंगे और उसके बाद हरिद्वार जाएंगे।
निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत राम रतन गिरी महाराज ने कहा कि हमारे पुजारी अनुष्ठान करते हैं और हमारे देवताओं की पूजा की जाती है। हमारा मुख्य उद्देश्य तीन अमृत स्नान पूरा करना था, जो अब पूरे हो गए हैं। कल शुभ मुहूर्त तय करने के बाद हम अन्य संन्यासियों और अखाड़ों के साथ बनारस के लिए रवाना होंगे। महाशिवरात्रि आ रही है और प्रयागराज से हम साधु-संत वाराणसी जाएंगे। वहां होली खेलेंगे।
वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए लोग देशभर से आते हैं। हम लोग महाकुंभ में हैं और यहां से वहा जाने की तैयारी करेंगे। जिस दिन अच्छा मुहूर्त होगा, हम लोग प्रस्थान करेंगे। दूसरी तरफ संगम में डुबकी लगाने आए श्रद्धालुओं ने योगी सरकार की व्यवस्थाओं की सराहना की है। एक श्रद्धालु ने कहा कि यहां हर व्यवस्था बेहतरीन है। कहीं, कोई किसी प्रकार की असुविधा नहीं है।
काशी विश्वनाथ की ओर बढ़ेगी धर्मयात्रा
अखाड़े के धर्मगुरु अनंत कौशल महंत शिवदास के अनुसार मुहूर्त निकलते ही विधि-विधान से धर्मध्वजा उतारी जाएगी और जयकारे के साथ काशी विश्वनाथ दरबार के लिए धर्मयात्रा आगे बढ़ जाएगी। इसी अखाड़े के अवधेश पुरी ने बताया कि अधिकतम दो से तीन दिन में उनका पूरा अखाड़ा काशी पहुंच जाएगा।पंचायती निरंजनी अखाड़े ने काशी जाने की योजना बना ली है। अखाड़े के किशोर गिरि के अनुसार महाकुंभ के बाद सभी सात शैव अखाड़े काशी में इकट्ठा होंगे और सनातन के विकास की आगे की योजना बनाएंगे। 15 फरवरी को उनका अखाड़ा अपने मूल स्थान हरिद्वार चला जाएगा।
निर्मोही अनी अखाड़े के अयोध्या जाने की तैयारी
वैष्णव परंपरा के निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास अयोध्या जाने की योजना बता रहे हैं। इसी परंपरा के निर्वाणी अनी और दिगंबर अनी अखाड़ों के प्रस्थान की भी कुछ ऐसी ही योजना है। नए उदासीन अखाड़े और बड़े उदासीन अखाड़े की धर्मध्वजा उतरने की तिथि निर्धारित हो गई है। बुधवार यानी पांच फरवरी को नए अखाड़े और सात फरवरी को बड़े अखाड़े की धर्मध्वजा उतारी जाएगी। बड़े उदासीन के धर्मगुरु प्रयागराज के कीडगंज में कुछ दिन तक डेरा जमाएंगे।उसके बाद अपने मूल स्थान हरिद्वार के लिए रवाना हो जाएंगे। बड़े उदासीन अखाड़े के महंत दुर्गादास ने बताया कि कीडगंज में उनके अखाड़े का मुख्यालय है। मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी अमृत स्नान के बाद वहां हाजिरी लगाने की परंपरा है।
कढ़ी-पकौड़ी खाकर उतारी निर्मल अखाड़े की धर्मध्वजा
पंचायती अखाड़ा निर्मल ने वसंत पंचमी के अमृत स्नान के अगले दिन मंगलवार को महाकुंभ नगर में स्थापित अपनी धर्मध्वजा उतार दी। इस अनुष्ठान से पहले कढ़ी-पकौड़ी का परंपरागत प्रसाद सभी संतों ने ग्रहण किया। फिर धर्मध्वजा उतारकर हरिद्वार जाने की तैयारी शुरू कर दी।अखाड़े के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने बताया कि अखाड़े के कुछ संत अभी प्रयागराज में ही निवास करेंगे और एक सप्ताह बाद हरिद्वार आएंगे।सात को होगा जूना अखाड़े का प्रस्थानपंचदशनाम जूना अखाड़े के शिविर में भी काशी प्रस्थान की तैयारी शुरू हो गई है। धर्मध्वजा उतारने के लिए सात फरवरी की तिथि भी निर्धारित कर ली गई है।मुख्य संरक्षक हरि गिरि ने बताया कि सात फरवरी को प्रस्थान का क्रम शुरू हो जाएगा। महाशिवरात्रि तक काशी में ही प्रवास रहेगा। काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना के बाद यह महाकुंभ से शुरू हुआ अनुष्ठान सम्पन्न होगा।