Delhi Election: क्या इन दिग्गजों के जरिए आप का किला भेद पाएगी बीजेपी? दिल्ली चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति समझिए

नई दिल्ली: लगातार 26 साल से दिल्ली की सत्ता से दूर बीजेपी ने इस बार अपनी विरोधी आम आदमी पार्टी के दिग्गजों को कड़ी चुनौती देने के इरादे से अपने दो पूर्व सांसदों को दांव पर लगाया है। इसके अलावा पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों में से भी चार पर फिर से भरोसा जताया है। लेकिन कुछ विधानसभा सीटों पर पार्टी ने ऐसे उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है, जो लगातार एक या दो दो चुनाव हार चुके हैं।

क्या कहती है बीजेपी की पहली लिस्ट?

पार्टी की पहली लिस्ट से पता चलता है कि इस बार उम्मीदवार तय करते हुए पार्टी ने पार्षदों से लेकर पूर्व विधायकों, पराजित हो चुके उम्मीदवारों के अलावा दूसरे दलों से आए नेताओं को भी मैदान में उतारा है। अलबत्ता पार्टी ने अपने मौजूदा सात में से चार को ही फिलहाल टिकट दिया है जबकि एक विधायक का टिकट काट दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार पार्टी की रणनीति कारगर होगी?

जमीनी नेताओं को मैदान में उतारा

हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने जमीनी नेताओं को मैदान में उतारा है। उन्होंने इस तर्क को खारिज कर दिया कि पार्टी ने पराजित हो चुके उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। पार्टी नेताओं का तर्क है कि पिछली बार बीजेपी के 8 विधायक ही जीते थे लेकिन उस वक्त आम आदमी पार्टी की हवा थी। ऐसे में सिर्फ इसी आधार पर नेताओं को टिकट देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वे पहले चुनाव हार चुके हैं। पार्टी के एक नेता के मुताबिक टिकट देते वक्त इस बार सिर्फ जीत का फार्मूला ही रखा गया है। यही वजह है कि पार्टी ने कुछ जगह निगम पार्षद को भी टिकट देने से परहेज नहीं किया।

क्या है पार्टी की रणनीति?

पार्टी ने इस बार आप के दिग्गज नेताओं को घेरने पर अधिक फोकस रखा है। यही वजह है कि पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपने पूर्व सांसद और जाट नेता प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि कांग्रेस के संदीप दीक्षित भी तगड़े दावेदार हैं। ऐसे में बीजेपी विरोधी वोट कांग्रेस व आप में बंट गए तो नई दिल्ली का किला बीजेपी जीत सकती है। इसी तरह से पार्टी ने वोटरों का प्रोफाइल देखकर जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट दिया है। पार्टी को लग रहा है कि यहां मनीष सिसोदिया को मारवाह ही टक्कर दे सकते हैं।

सिसोदिया की बढ़ी मुश्किलें

पार्टी का आकलन है कि कांग्रेस के फरहाद सूरी के आने से सिसोदिया की मुश्किल बढ़ी है। ऐसे में इस इलाके से कई बार विधायक रहे मारवाह के जरिए बीजेपी के लिए ये अच्छा मौका बन जाएगा। पार्टी ने इसी तरह से कालकाजी से मुख्यमंत्री आतिशी को घेरने की भी रणनीति के तहत ही पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस ने अलका लांबा को मैदान में उतारा है। बीजेपी को लग रहा है कि बिधूड़ी इस साल लोकसभा चुनाव से पहले तक सांसद थे और उनकी जमीनी पकड़ मजबूत है। ऐसे में आतिशी को कड़ी टक्कर दी जा सकती है।

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