
स्टावेंगर, नॉर्वे की एक रोमांचक संडे शाम को शतरंज की दुनिया ने इतिहास बनते देखा, जब 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने महान खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराकर नॉर्वे चेस 2025 में अपनी पहली क्लासिकल जीत दर्ज की। इस नतीजे ने पूरी दुनिया के शतरंज प्रेमियों को चौंका दिया — और खुद कार्लसन भी हैरान और हतप्रभ नज़र आए।
हार से जीत तक का सफर: एक नाटकीय मोड़
यह मुकाबला चार घंटे तक चला और 62 जबरदस्त चालों के बाद खत्म हुआ। गुकेश ने सफेद मोहरों से खेल की शुरुआत 1. e4 से की, और खेल रूय लोपेज़ ओपनिंग में गया। कार्लसन ने बर्लिन डिफेंस से जवाब दिया — जो आमतौर पर ड्रॉ की ओर जाता है — ये दिखाता है कि नॉर्वेजियन खिलाड़ी सतर्क रणनीति अपना रहे थे।
शुरुआती मध्य खेल में दोनों खिलाड़ियों की चालें संतुलित और रणनीतिक थीं, लेकिन इसके बाद जो हुआ वो अप्रत्याशित था।
जैसे ही खेल एंडगेम में पहुंचा, ऐसा लग रहा था कि कार्लसन की स्थिति मज़बूत है। उन्होंने गुकेश की e4 पॉन पर दबाव बनाना शुरू किया। Rb4 और फिर Bh3 जैसी चालों से उन्होंने खेल पर अपनी पकड़ मज़बूत करनी चाही और दर्शकों को लगा कि एक और कार्लसन क्लासिक देखने को मिलेगा।
लेकिन शतरंज, ठीक ज़िंदगी की तरह, हमेशा चौंकाता है।
वह चूक जिसने कार्लसन को हिला दिया
एंडगेम में, कार्लसन से एक बड़ी भूल हो गई। शायद उन्होंने गुकेश की चतुराई को हल्के में लिया या अपनी स्थिति को ज़रूरत से ज़्यादा सुरक्षित मान लिया — और यहीं से गेम पलट गया।
गुकेश ने मौके का पूरा फायदा उठाते हुए बेहतरीन पलटवार किया और धीरे-धीरे खेल पर नियंत्रण पा लिया। उन्होंने शांत दिमाग, सटीक कैलकुलेशन और बिना घबराए हुए निष्पादन से अपने पहले क्लासिकल मुकाबले में मैग्नस कार्लसन को हरा दिया।
कार्लसन की निराशा इतनी ज़ाहिर थी कि वह टेबल पर हाथ मारने के बाद ही हैंडशेक के लिए आगे बढ़े। वहीं गुकेश पूरे समय शालीन और शांत बने रहे — उन्होंने जवाब चालों से दिया, शब्दों से नहीं।

परिवार और कोच की खुशी
गुकेश के दादा शंकर राजेश ने ANI से बात करते हुए अपनी खुशी ज़ाहिर की:
“ये एक ऐसी उपलब्धि थी जो अब तक अधूरी थी — अब पूरी हो गई है। गुकेश ने अब मैग्नस कार्लसन को भी हरा दिया है। अब उस पर कोई दबाव नहीं है।”
उनके कोच ग्रेज़गोर्ज गजेव्स्की ने इस मानसिक जीत को महत्वपूर्ण बताया:
“एक बार आपने किसी को हरा दिया तो आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। अब उसे भी विश्वास हो गया है कि वो फिर से ऐसा कर सकता है। यही अगला लक्ष्य है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा: “उम्मीद है कि हम अगली बार भी असंभव को संभव बनाएंगे।”
बदला और बुलंदी
इस जीत को और भी खास बनाता है यह तथ्य कि गुकेश इसी टूर्नामेंट के पहले राउंड में कार्लसन से हार चुके थे। ऐसे में ये जीत सिर्फ अंक बटोरने की बात नहीं थी — ये थी साहस, मानसिक मज़बूती, और यह साबित करने की कि वो सचमुच दुनिया के टॉप खिलाड़ियों में शामिल हैं।
इस जीत के बाद गुकेश अब लीडरबोर्ड पर तीसरे स्थान पर हैं — बस एक अंक पीछे हैं कार्लसन और फेबियानो करूआना से। इससे टूर्नामेंट का दूसरा हिस्सा और भी रोमांचक होने वाला है।
निष्कर्ष: उगता सितारा
सिर्फ 18 साल की उम्र में, डी गुकेश ने भारतीय और वैश्विक शतरंज इतिहास में अपनी जगह पक्की कर ली है। मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल मुकाबले में हराना सिर्फ एक जीत नहीं — एक स्पष्ट संदेश है।
अगर इस खेल से कुछ साफ होता है, तो वो ये है:
शतरंज का भविष्य निडर और तेज़ सोच वाले हाथों में है।
हम एक नए युग को आते देख रहे हैं — हर चाल के साथ इतिहास रचता हुआ।
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♟️ मुकाबला अभी बाकी है, और गुकेश ने साफ कर दिया है — वो सिर्फ आए नहीं हैं, टिकने आए हैं।