उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी समृद्ध लोककला और संस्कृति भी इसे खास बनाती है। इन्हीं अद्भुत कलाओं में से एक है “ऐपण” – एक पारंपरिक चित्रकला जो सदियों से कुमाऊं क्षेत्र की महिलाओं द्वारा घरों की दीवारों, आंगनों, दरवाज़ों और पूजा स्थलों को सजाने के लिए बनाई जाती है।
ऐपण कला क्या है?
ऐपण (Aipan) उत्तराखंड की एक पारंपरिक आरेखण शैली है, जो आमतौर पर शुभ अवसरों, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान बनाई जाती है। इसे चावल के आटे (जिसे स्थानीय भाषा में बिस्वार कहा जाता है) से लाल मिट्टी की सतह पर उंगलियों की मदद से बनाया जाता है। यह कला न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि इसके हर डिज़ाइन में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व छुपा होता है।
ऐपण बनाने की प्रक्रिया
- तैयारी – पहले ज़मीन या दीवार को गेरू (लाल मिट्टी) से रंगा जाता है ताकि पृष्ठभूमि तैयार हो जाए।
- बिस्वार तैयार करना – चावल को पीसकर बारीक आटा तैयार किया जाता है और उसे पानी में घोलकर सफेद रंग बनाया जाता है।
- डिज़ाइन बनाना – महिलाएं उंगलियों की सहायता से विभिन्न पारंपरिक प्रतीकों जैसे स्वास्तिक, कमल, पदचिह्न, शिवलिंग, सूर्यमुखी, और अन्य पवित्र चिन्ह बनाती हैं।
ऐपण के प्रमुख प्रकार
- सरस्वती चौकी – विद्या की देवी सरस्वती की पूजा के लिए बनाया जाता है।

- लक्ष्मी चौकी – दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष ऐपण।
- जन्यौ ऐपण – उपनयन संस्कार में प्रयुक्त।
- विवाह मंडप ऐपण – शादी के अवसर पर दूल्हा-दुल्हन के बैठने की जगह पर बनाया जाता है।
- अष्ट दल कमल – आठ पंखुड़ियों वाला कमल, जो दिव्यता का प्रतीक है।
ऐपण का सांस्कृतिक महत्व
ऐपण केवल एक सजावटी कला नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की लोक-संस्कृति, विश्वास और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है। यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं के द्वारा सिखाई जाती है और परिवार के शुभ कार्यों का अभिन्न हिस्सा है। यह नारी सशक्तिकरण का भी प्रतीक बनती जा रही है क्योंकि आज कई महिलाएं ऐपण कला को व्यवसाय के रूप में अपना रही हैं।
आधुनिक युग में ऐपण
आज के डिजिटल और आधुनिक युग में ऐपण कला ने नए रूप धारण किए हैं। अब इसे कागज़, कपड़े, कैनवस, टी-शर्ट, बैग, और यहां तक कि मोबाइल कवर तक पर उकेरा जा रहा है। कई युवा कलाकार और स्टार्टअप इस कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।
निष्कर्ष
ऐपण उत्तराखंड की आत्मा है, जो परंपरा और आस्था का संगम है। यह एक ऐसी कला है जो न केवल सौंदर्य प्रदान करती है, बल्कि संस्कृति को जीवित भी रखती है। आज आवश्यकता है कि हम इस अद्भुत विरासत को पहचानें, संजोएं और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ।