राम नाम की लूट

राम लल्ला के नाम पर 3.85 करोड़ की ठगी: अयोध्या पुलिस ने किया बड़ा साइबर फ्रॉड उजागर

राम मंदिर के प्रति आस्था और भक्ति को ठगों ने अपना हथियार बना लिया। अयोध्या पुलिस ने हाल ही में एक चौंकाने वाला साइबर घोटाला उजागर किया है, जिसमें राम लल्ला के नाम पर भक्तों से ₹3.85 करोड़ की ठगी की गई।

जैसे-जैसे राम मंदिर का निर्माण पूर्णता की ओर बढ़ रहा था और 22 जनवरी 2024 को ‘राजा राम’ की प्रतिष्ठा की तैयारी हो रही थी, आरोपी आशीष सिंह नामक एक व्यक्ति ने भक्तों की धार्मिक भावना का फायदा उठाते हुए एक फर्जी वेबसाइट — khadiorganic.com — लॉन्च की।

कैसे हुई ठगी?

आरोपी गाजियाबाद निवासी आशीष सिंह ने 19 दिसंबर 2023 से 12 जनवरी 2024 के बीच इस वेबसाइट के जरिए देश और विदेश के छह लाख से अधिक भक्तों से राम मंदिर प्रसाद, स्मृति सिक्के, मंदिर की प्रतिकृति और राम मंदिर की मूर्तियों की ‘मुफ्त डिलीवरी’ के नाम पर शुल्क वसूला। वेबसाइट ने ‘फेसिलिटेशन फीस’ के रूप में ₹10.49 करोड़ की रकम डिजिटल माध्यमों से जमा की, जिसमें ₹3.85 करोड़ सिर्फ प्रसाद वितरण के नाम पर लिए गए।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की सजगता

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जब ऑनलाइन गतिविधियों में गड़बड़ी देखी, तब इस मामले की शिकायत की गई। पुलिस ने केस दर्ज किया और आरोपी को अमेरिका से लौटने पर अरेस्ट कर लिया।

इतिहास का सबसे बड़ा रिफंड

अयोध्या पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए अब तक 3,72,520 पीड़ितों को ₹2.15 करोड़ की राशि वापस कर दी है। यह राज्य के इतिहास में साइबर फ्रॉड से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा रिफंड है।


राज्यभर में साइबर ठगों के खिलाफ अभियान तेज

सिर्फ अयोध्या ही नहीं, हाल के हफ्तों में यूपी पुलिस ने साइबर ठगों पर नकेल कसने का काम और तेज किया है। लखनऊ में पुलिस ने Cricbuzz और Fairplay ऐप्स के जरिए फर्जी आईडी बनाकर लोगों को ऑनलाइन गेम खिलाकर पैसा डबल करने का झांसा देने वाले सात अंतरराज्यीय अपराधियों को गिरफ्तार किया है।

ये आरोपी लोगों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फंसा कर करोड़ों की ठगी कर रहे थे। राज्य पुलिस द्वारा चलाया गया यह अभियान साइबर सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

सवाल तुमसे है, मुझसे है

हम पढ़े-लिखे लोग कैसे इतने भोले हो जाते हैं?
हमने कभी वेबसाइट चेक की? कभी पूछा कि ट्रस्ट खुद ऐसा कहां कर रहा है?

जरा सोचिए — अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया से बैठे NRI भी इस झांसे में आ गए। क्या सिर्फ ₹51 या ₹11 इसलिए दिए गए क्योंकि राम का नाम था?

और फिर वही भावुक सोच — “राम का नाम है, हमने भाव से दिए, जिसने लिए उस पर पाप पड़ेगा।”
पर सच यह है — धोखा देने वाला पापी है, लेकिन आंख मूंदकर भरोसा करने वाला भोला नहीं, ज़िम्मेदार है।

अंत नहीं, एक चेतावनी है

अयोध्या में सिर्फ प्रसाद के नाम पर नहीं —

पार्किंग में घोटाला, जमीन के नाम पर घोटाला, नेताओं और अधिकारियों द्वारा फ्लैट खरीद —
सब हो रहा है राम नाम की लूट में।

सत्ता भी मिली, संपत्ति भी, प्रसाद भी बेचा गया —
अब तुमसे पूछा जा रहा है — राम के नाम पर आंखें बंद करके क्या तुम फिर लुटोगे?


सावधान रहें, सतर्क रहें

भक्तों की श्रद्धा को ठगों का शिकार बनने से रोकने के लिए जरूरी है कि हम डिजिटल लेन-देन करते समय सतर्क रहें और किसी भी अनधिकृत वेबसाइट से सामान या सेवाएं न खरीदें। सरकारी अथवा ट्रस्ट की अधिकृत वेबसाइट से ही जानकारी प्राप्त करें।

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